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नमस्कार लंड वाले भाइयो, चूत वाली लड़कियो, भाभियो और आँटियो! मैं इस साईट का बहुत पुराना पाठक हूँ. मैं अन्तर्वासना पर तब से कहानियां पढ़ रहा हूँ जब मुझे सेक्स का ज्ञान भी नहीं था. मैं इन्ही कहानियों को पढ़ कर जवान हुआ हूँ.
मेरा नाम शुदित है, मैं ग़ाज़ियाबाद का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 20 साल, हाइट 5’9″, मेरा लंड 7″ लंबा और 3.5″ मोटा है.
यह मेरी पहली कहानी है. यह कहानी सुकृति आंटी की है. बात तब की है जब मैं बारहवीं की परीक्षा के बाद मेडिकल की कोचिंग के लिए अपने दोस्तों के साथ उत्तम नगर में फ्लैट लेकर रहता था. सुकृति आंटी अपने पति के साथ हमारे फ्लैट के पीछे वाले फ्लैट में रहती थी, गजब की माल थी वो, काफी मस्त फिगर था उनका 36-30-38. कोई भी देख ले तो बिना मुठ मारे नहीं रह पायेगा.
मैं जब से यहाँ आया था रोज़ उनके बारे में सोच कर मुठ मारता था. अन्तर्वासना की कहानियों को पढ़ कर मेरे अंदर आग लगी हुई थी. मैं उनको चोदना चाहता था पर कभी मौका नहीं मिल रहा था. मैं उन्हें चोदने के तरीकों के बारे में सोचने लगा. मैं उनसे बात करने का बहना ढूंढने लगा. कुछ दिनों में रोज़ हमारी बात होने लगी. अब हम काफी घुल मिल गए थे.
एक रात मैं अपने पीछे वाली बालकनी में जाकर अपना लंड बाहर निकाल कर सहला रहा था, तभी आंटी अपनी बालकनी में आ गयी. मैंने ध्यान नहीं दिया और मुठ मारने लगा. मेरा लंड अपने पूरे जोश में था. करीब 15 मिनट बाद मैं झड़ गया.
तभी मैंने देखा कि आंटी तब से बड़े ध्यान से मुझे ही देखे जा रही थी और एक हाथ से अपनी चूचियों को और दूसरे से अपनी चूत को सहला रही थी. मैं चौंक गया और डर कर अपने रूम में भाग गया.
अगले दिन दोपहर में आंटी ने मुझे आवाज़ देकर बाहर बुलाया. मैं डरते डरते बाहर गया तो आंटी ने कहा- बेटा, ज़रा घर पर आना, जरूरी काम है.
मैं थोड़ी देर बाद उनके घर गया और डोर बेल बजाई तो आंटी ने दरवाजा खोला. दरवाजा के खुलते ही मैं दंग रह गया. आंटी क्या मस्त माल लग रही थी, वो पिंक कलर का गाउन पहनी हुई थी जिसमें से उसके 36″ के चुच्चे साफ़ झलक रहे थे और 38″ की मस्त उठी हुई गांड देख कर तो मेरी पैंट में तम्बू बन गया था.
शायद आंटी ने मेरी पैंट में बने तम्बू को देख लिया था, वो मुझे एक वासना भरी स्माइल देकर अंदर जाने लगी. मैं समझ गया कि ‘आंटी हँसी तो फंसी.’ वो अपने गांड मटकाती हुई अंदर जा रही थी. मैंने पूछा- अंकल कहाँ हैं? तो जैसे ही उन्होंने बताया कि वो कुछ काम से 3 दिन के लिए बाहर गए हैं. तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, मैंने सोचा कि आज मुझे चौका मारने का मौका मिला है, मैं इसे खाली नहीं जाने दूंगा.
आंटी मुझे बैठने के लिए बोल कर किचन में पानी लाने चली गयी. मैं वहीं बैठ गया. थोड़ी देर बाद आंटी पानी ले कर आई और मुझे देने के लिए इतना झुक गयी कि मुझे उनके चूचियों के दर्शन हो गए और मेरा लंड खड़ा हो गया. जैसे ही मैं पानी लेने के लिए आगे बढ़ा, अचानक आंटी ने जानबूझ कर पानी मेरे पैंट पर गिरा दिया और पैंट को पौंछने के बहाने मेरे लंड को सहलाने लगी.
मैं समझ गया लोहा गर्म है और ठुकने को तैयार है. मैंने भी देर करना उचित नहीं समझा और आंटी को अपनी तरफ खींच कर बेतहाशा चूमने लगा. मैं आंटी के होठों को चूस रहा था और वो भी मेरा साथ दे रही थी.
मैं उनके गाउन के ऊपर से ही अपनी एक हाथ से उनकी चूचियों को दबा रहा था और दूसरी से आंटी की चूत को सहला रहा था. उनकी चूत गीली हो रही थी और वो मेरे पैंट के ऊपर से मेरे लंड को सहला रही थी.
मेरा लंड पैन्ट से बाहर आने को बेताब हो रहा था, मैं बोला- जानेमन, सब कुछ कपड़े पहन कर ही करना है क्या? आंटी बोली- अब मैं तुम्हारी हूँ, जैसे चाहो कर सकते हो. मैं फिर से आंटी को किस करने लगा और कब हमारे कपड़े हमारे जिस्म से अलग हो गए, पता ही नहीं चला.
माशाअल्लाह… क्या बदन था आंटी का, उनके मोटे मोटे चुच्चे, गोरा बदन, और चूचियों पर भूरे रंग के निप्पल. क्या चूत थी, ऐसा लग रहा था मानो कोई अनछुई कली हो, पूरी क्लीन शेव थी. उनकी चूत से पागल कर देने वाली मादक खुशबू आ रही थी.
थोड़ी देर बाद हम 69 की अवस्था में आ गए. वो मेरे पूरे लौड़े को मुख में लेकर मजे से चूस रही थी और मैं उनकी चूत को चाट रहा था और अपनी जीभ की नोक से उसे चोद रहा था. करीब 15 मिनट तक हम इसी अवस्था में रहे और इस बीच वो झड़ चुकी थी. यहाँ पर मैं बताना चाहूँगा कि मुझे चूत चाटना इतना अच्छा लगता है कि मैं घण्टों चूत चाटता रहूँ.
अब हम अलग हो चुके थे, अब मैं उनकी चूचियों को चूस रहा था और वो मेरे लंड को सहला रही थी. वो मुझे लंड को उनकी चूत में डालने को बोल रही थी. मैंने भी यही उचित समझा और उसको बेड पर लिटा कर उसकी कमर के नीचे तकिया लगा दिया. अब मैं अपने लंड को उसके चूत के छेद पर टिका कर अंदर डालने की कोशिश करने लगा और एक जोरदार धक्का लगाने पर मेरा आधा लंड अंदर चला गया और उसकी एक जोर की चीख निकल गयी. वो लंड को बाहर निकालने को बोलने लगी मगर मैंने ध्यान नहीं दिया और एक और जोर का धक्का लगाने पर मेरा पूरा लंड आंटी की चूत में चला गया और वो चिल्लाने लगी.
काफी लम्बी धकापेल चुदाई के बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ गया, इस बीच वो कई बार झड़ चुकी थी.
थोड़े देर हम ऐसे ही लेटे रहे. आंटी बोली कि आज तक उन्होंने ऐसी मजेदार चुदाई नहीं की थी, मजा आ गया. वो काफी खुश दिख रही थी. उन 3 दिनों में मैंने उन्हें करीब 20 बार घर के हर कोने में हर आसन में चोदा.
अब जब भी मन करता है, मैं उन्हें चोदने चला जाता हूँ. आंटी ने अपनी कई सहेलियों को मुझसे चुदवाया है सब काफी खुश हैं मुझसे. अब मैं एक काल बॉय बन चुका हूँ.
मैं अपनी कहानी यहीं समाप्त करता हूँ. आप अपनी राय मुझे जरूर भेजें. चूँकि यह मेरी पहली कहानी है अगर मुझसे कोई गलती हुई हो तो प्लीज माफ़ कीजियेगा. अपनी दूसरी कहानी ले कर जल्द ही हाजिर होऊंगा.
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