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सरिता 18 साल की छरहरी बदन की गोरी देसी लड़की थी, अल्हड़ जवानी का रंग बदन में दिखाई पड़ रहा था. गाँव के एक अमीर किसान के घर पर काम करती थी, उनका नाम रमेश था, करीब 45 साल का अधेड़ था, बदन गठीला था, काफी जमीन थी और पैसे की कमी नहीं थी, घर पर ही दिन भर रहता था.
सरिता की सब सहेलियों की शादी हो चुकी थी. गाँव में कम उम्र में शादी हो जाती है. पैसे के अभाव में सरिता की शादी नहीं हुई थी. सहेलियों से बात होने पर सुहागरात की बात सुनती थी. उसकी सहेली बताती थी कि मर्द जब चुदाई करते हैं तो बहुत मजा आता है. इस तरह की बात सुनने पर सरिता का मन भी मचल उठता था पर सोच नहीं पाती थी कि किससे बुर की चुदाई करवाये.
एक दिन की बात है, सुबह 9 बजे रमेश आँगन में सिर्फ लुंगी पहन कर नहा रहा था. बार बार हाथ से पीछे पीठ रगड़ रहा था पर दिक्कत हो रही थी. यह देख कर सरिता बोली- चाचा हम रगड़ दें क्या? चाचा रमेश- कोई देख लेगा? सरिता- तो बाथरूम में चलिये ना? रमेश- ठीक है.
कह कर सरिता और रमेश दोनों बाथरूम में चले गए.
सरिता ने एक पतली शमीज ही पहनी थी. बाथरूम में सरिता रमेश के पीठ में साबुन लगाकर रगड़ रही थी और पानी से धो भी दे रही थी. इससे सरिता की शमीज भीग गई थी. सरिता का भी मन अब बेचैन हो रहा था और सोच भी रही थी कि आज उसे रमेश चोद कर मजा दे. यह सोच कर जैसे ही सरिता उठने को हुई तो पैर फिसल गया और गिरने को हुई तो रमेश पकड़ लिया. सरिता की शमीज पूरी तरह से भीग गई और उसकी चुची स्पष्ट दिखाई देने लगी. रमेश का एक हाथ उसकी चुची पर था और दूसरा हाथ कमर पर था.
रमेश ने भी काफी दिनों से चुदाई का मजा नहीं लिया था और 18 साल की सरिता को इस अवस्था में पाकर उसे चोदने का मन बना रहा था. वो बोला- तुम तो भीग गई हो? शमीज को उतार कर सुखा लो, घर जाओगी तो मम्मी पूछेगी. सरिता ने बिना झिझक के समीज उतार दी.
रमेश अब उसके बदन से खेलने लगा तो सरिता बोली- बिछावन में चलिये. सरिता को विछवान पर लिटा कर रमेश उसकी चुची को धीरे धीरे दबा रहा था. सरिता- थोड़ा ज़ोर से दबाइए. रमेश- मजा आ रहा है ना?
गोरी गोरी चुची दबाने से उसकी घुंडी तन गयी थी. वह प्यार से दोनों हाथों से रमेश को पकड़े हुए थी, वह ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह इह्ह ओह्ह ह्ह ओहह्ह चाचू आह्ह ह्ह्ह इह्ह… और ज़ोर ज़ोर से दबाओ’ बोल रही थी.
सरिता- मेरी सहेली बताती है की चुची को चूसने से और मजा आता है. और उसने अपनी एक चुची रमेश से मुँह में लेने को कहा. रमेश चुची के ऊपर अपनी जीभ फेरने लगा, उसके निप्पल को बारी बारी से चूस रहा था और एक हाथ से उसकी पैंटी के ऊपर से रगड़ भी रहा था.
थोड़ी देर में रमेश को पता चल गया कि सरिता की बुर पनिया गयी है. सरिता ने एक पैर रमेश की कमर पर चढ़ा दिया. रमेश ने भी एक हाथ उसकी पैंटी के अंदर डाल कर एक अंगुली बुर के पास ले गया और बुर पर हल्के हल्के रोंयेदार बालों को सहलाने लगा तो सरिता भी कमर को इधर इधर कर बड़बड़ाने लगी- आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह!
तो रमेश अंगुली से बुर के छेद को सहलाने लगा. सरिता की बुर रस से भर गया था. रमेश ने बुर के अंदर एक उंगली डाली और वो चूसने के साथ साथ उंगली से सरिता को चोदने लगा. ‘आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह… थोड़ा और डालो!’ इस तरह से सरिता बोलने लगी. ताव में आकर रमेश ने अपनी बीच की अंगुली उसकी बुर में पूरा घुसा दी.
‘इह्ह्ह ओह्ह्ह ह्ह्हह्ह ओह्हह्ह आआ ओ ओ ओ इ इ’ कहते हुये सरिता ने रमेश के हाथ को पकड़ लिया. रमेश ने सरिता की पैंटी को उतार कर उसे नंगी कर दिया और अपना लुंगी खोल कर उसके हाथ को लंड पर रख दिया. सरिता- मेरी सहेली कहती है कि लंड को भी चूसने से मजा आता है पर आपका लंड बहुत ही मोटा और लंबा है. सरिता सच में उसका 7 इन्चा लंबा लंड अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी. रमेश का लंड काफी गर्म था और उसको हाथ लगाते ही सरिता की बुर के अंदर खुजली होने लगी.
रमेश का लंड धीमे धीमे बढ़ रहा था और थोड़ी देर में तो उसकी लम्बाई 8 इंच से भी ज्यादा बढ़ चुकी थी. रमेश- कोई बात नहीं, थोड़ा सा लंड को चूसो. और सरिता लंड की चमड़ी को हटाकर जीभ से चाटने लगी.
रमेश ने सरिता के सर को पकड़ कर लंड को मुंह में डाल दिया. सरिता के मुख से ‘ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग गी गी गी गोगो गोग…’ जैसे आवाज निकाल रही थी और रमेश को स्वर्ग का सा मजा आने लगा- आह्ह्ह इह्ह ह्ह ओह ह्ह्ह ओह्ह… आह्ह ह्ह्ह्ह इह्ह..
तभी रमेश को लगा कि उसके लंड की चुसाई की सीमा आ गई है और अभी चोदना पड़ेगा. उसने सरिता के कंधे पकड़े और सरिता ने लंड को मुहं से निकाला तो सरिता बोली- चलिये अब लंड से मेरी बुर को जल्दी से चोदिए क्योंकि मेरी बुर में पता नहीं क्या क्या हो रहा है.
रमेश ने उसकी टाँगें पकड़ के अपने कंधों पे रख दी. ऐसा करने से लंड जैसे सरिता की बुर के अंदर घुसा तो और वो अब उतावली हो के रमेश को बुर फाड़ने के लिए कहने लगी- और जोर से चाचा जी. जोर से चोदो मुझे. अपना लंड अंदर तक डाल के मुझे मजे दो… आह आह ओह ओह ओह…!
जब सरिता की मस्ती रमेश को दिखी तो उसने एक और झटके के साथ लंड के बाकी के हिस्से को भी उसकी बुर में डाल दिया- उईईई माँ मर गई रे… उई उई उई ओहोहोहो ओहोह आह्ह्हह्ह आह्ह्ह्ह ओह्ह आह ओह आह्ह्ह… माँ… माँ… धीरे धीरे… बहुत दर्द हो रहा है.
उसके लंड ने जैसे सरिता की बुर की चमड़ी को पूरा छील दिया, उसे बहुत दर्द हो रहा था और वो अभी भी आह ओह ओहाआ आआअ अह्ह्ह्हह्ह कर के रो रही थी. चाचा रमेश अपने लंड को बुर के अंदर बाहर करने में लगा हुआ था. रमेश नीचे झुका और उसने सरिता की चुची को मुख में बारी बारी लेना चालू कर दिया. सरिता ने रमेश के सिर को पकड़ के अपने सीने पे दबा दिया. रमेश अपनी जबान को निप्पल के ऊपर चला रहा था.
रमेश का लंड जैसे अब तो और भी अंदर तक आ रहा था और जब वो अपना लंड पूरा अंदर डाल के अपने शरीर का वजन उस पे देता तो सरिता को बड़ा ही मजा आता था. उसके मुख से आह ओह ओह आह निकल रहा था और रमेश उसे मस्त पेलता गया. रमेश के मुख से भी अब ‘आह आह’ की आवाजें और उनकी साँसों के बढ़ने की आवाज आने लगी थी.
सरिता बोल रही थी- ओह… ओह… चाचा कितना मजा आ रहा है ऊई… ऊई… सी… सी… इ… इ… और कमर उठा कर सरिता अपनी बुर की चुदाई करवाने लगी.
रमेश के लंड ने जब पिचकारी मारी तो सरिता की बुर वीर्य से भर गया और वह इस शानदार चुदाई से तृप्त हो गयी.
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