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दोस्तो, मैं अन्तर्वासना हिन्दी सेक्स स्टोरीज की नियमित पाठिका हूँ. काफी दिनों से मुझे अपनी कहानी यहाँ पर पोस्ट करने ही इच्छा थी मगर हिंदी टाइपिंग न आने की वजह से ना कर पाई. आख़िरकार एक दोस्त, जो हिंदी टाइपिंग जानता है, उसकी मदद से यह काम भी पूरा हुआ. बदले में मुझे उसके साथ सोना पड़ा मगर वो कहानी फिर कभी.
अब वैसे तो मैं अपनी तारीफ खुद क्या करूँ मगर मेरे करीबी मुझे सेक्सी बेब कहते है और मैं हूँ भी वैसी ही। मेरा नाम निकिता है, उम्र 24 साल, 5’8″ कद, लम्बी सेक्सी टाँगें, 34-28-36 की पटाका मूरत हूँ मैं. इस छोटी सी जिंदगी में सब कुछ दिल खोल के किया है मैंने। जब मिनी स्कर्ट पहनती हूँ तो सबकी नज़रें मेरी नंगी जाँघों और नाजुक पैरों पर चिपक जाती हैं. अगर जीन्स पहन लूँ तो सबकी नज़र मेरी उभरी हुइ गांड पे गड़ी रहती है. मैं भी छोटे कपड़े ज्यादा पहनती हूँ और मर्दों की कामुकता भरी नजरों का लुत्फ़ उठाती रहती हूँ.
कॉलेज खत्म होते ही मुझे एक कंपनी में कम्प्यूटर इंजीनियर की जॉब मिली. कॉलेज के टाइम पे मेरे 2-3 बॉयफ्रेंड रह चुके थे. मैं पहली बार कम उम्र में ही चुद गई थी. और आप तो जानते हैं हम लड़कियाँ एक बार जो चुद गई, तो उसकी कामुकता पर ब्रेक नहीं लग सकती, फिर वो कभी चुत चुदाई से परहेज नहीं करती।
मेरी जॉब की वजह से मेरा पहला पोस्टिंग दिल्ली हो गया और मैं सब कुछ पीछे छोड़ के दिल्ली आ धमकी।
मुझे भी घर से थोड़ा दूर ही रहना था. माँ पापा की नजर से दूर रह कर जिंदगी के मजे लेने थे. वेतन अच्छा था, दो दिन कंपनी के रेस्ट हाउस में रहने के बाद मैं अपने किराये के घर में शिफ्ट हो गई. जैसे तैसे सामान रखवा कर रात करीब नौ बजे मैंने अपनी कार निकाली कि कहीं से थोड़ी बियर या व्हिस्की लाई जाये तो थकान मिट जाएगी।
काफी देर तक ढूंढने के बाद भी दारु की दुकान नहीं मिली तो मैं अपने घर के पास के होटल में घुस गई. देखा तो कई सारे कपल्स वहाँ मौजूद थे और ड्रिंक्स के साथ मजे कर रहे थे. कुल मिलकर मौसम मस्ताना था.
मैंने भी एक टेबल पकड़ कर बियर के लिए बोल दिया और बियर पीते पीते व्हाट्सऐप पे मेसेज चेक करने लगी.
थोड़ी देर बाद किसी ने मुझे पूछा- कैन आय शेयर द टेबल विद यू प्लीज? मैंने हड़बड़ाकर देखा तो वो कोई फोरेनर बंदा था और रेस्टोरेंट में और कोई टेबल खाली ना होने की वजह से पूछ रहा था.
मैंने उसको गौर से देखा, वो कोई नीग्रो जैसा बंदा था, हालांकि जैसे आम नीग्रो होते हैं, वैसा काला कलूटा नहीं था। काफी हट्टाकट्टा था, कपड़े अच्छे पहने थे, बंदा शरीफ लग रहा था. मैंने उसे टेबल शेयर करने की इजाजत दे दी, मेरा धन्यवाद करते हुए वह बैठ गया.
उसने ड्रिंक आर्डर कर के सिगरेट जला ली तो मेरा भी सिगरेट पीने का मन हुआ. थोड़ी देर बाद मैंने मेरी बैग से सिगरेट का बॉक्स निकाला और एक सिगरेट होटों के बीच फंसा ली. मैं बैग में लाइटर ढून्ढ रही थी कि उस लड़के ने फट से माचिस की तिल्ली जला कर मेरे सामने कर दी. मैंने उसे थैंक्स कहकर सिगरेट सुलगा ली.
उसका ड्रिंक आया तो उसने होटों से गिलास लगाने से पहले अपना गिलास ऊपर करके कहा- यह पेग दुनिया की सबसे सुन्दर लड़की के नाम, जो मेरे साथ बैठी है! चियर्स! मैंने भी मुस्कुराते हुए जाम से जाम टकराया।
एक घूँट भरने के बाद उसने कहा- मेरा नाम पीटर है और आप? मैंने एक घूँट भरा और बोली- निकिता! और हमने हाथ मिला लिए!
बातों का दौर चल निकला, मालूम पड़ा कि वो साऊथ अफ्रीका से यहाँ पढ़ने के लिए आया था. उसे भारत देश और यहाँ के लोग बहुत पसंद थे. खैर… काफी देर बाद मैंने उससे विदा ली और चलती बनी. मगर पीटर मेरे दिमाग पे इस कदर छा चुका था कि घर पहुँच कर उसकी याद में मैंने अपनी चुत में उंगली डाल कर अपनी कामुकता को शांत किया।
आम तौर मैं घर पे जब अकेली होती हूँ तो कुछ भी नहीं पहनती हूँ. रात को मैं अपनी चुत में मेरा फेवरिट 11 इंची वाईब्रेटर घुसेड़ कर नंगी हो सो गई.
करीब एक महीना गुजर गया. मैं ऑफिस के काम में व्यस्त होती गई. रात को देर से आना, ड्रिंक्स लेना और सो जाना, यही मेरी लाइफ बन चुकी थी. कभी बदन अकड़ सा जाता क्योंकि सेक्स किये बिना मुझे 2 महीने से ज्यादा समय हो चुका था. रात की ज्यादा कामुकता की वजह से नींद नहीं आती तो मैं और नशा करती ताकि नींद आ सके.
एक दिन मैं ऑफिस से थोड़ा जल्दी आई और डी-मार्ट से जरूरी सामान ले रही थी की किसी ने मुझे पुकारा- हाई निकी! मैंने पलट के देखा तो पीटर खड़ा था. उसे देखकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई, मैंने आगे बढ़ कर उसे हग किया तो मेरे मम्मे उसकी चौड़ी छाती पे दब गए. एक अजीब सी फीलिंग मेरे पूरे बदन में बिजली की लहर दौड़ गई. उसने भी मुझे कुछ ज्यादा ही टाइट हग किया, फिर मुझे ऊपर से नीचे तक देखते हुए उसने कहा- वाओ, तुम तो आज बिल्कुल बॉम्ब शेल लग रही हो. किसका क़त्ल करने का इरादा है? मैंने एक कातिल मुस्कान के साथ कहा- देखे कौन फंसता है आज? मगर दिल ही दिल में मैंने तो फैसला कर लिया था कि मैं तो आज इससे चुदकर ही रहूंगी।
जब मैंने अपनी खरीदारी के पैसे दिए तो उसने मेरे शॉपिंग बैग्स उठा लिए और कहा- चलो तुम्हें तुम्हारी कार तक छोड़ दूँ. मैंने दिल ही दिल मैं कहा- छोड़ मत दे मादरचोद, चोद दे!
जब वो मेरे कार तक आया तो मैंने उसे थैंक्स कहा. मुझे यकीन था कि उसे भी वहाँ से जाने का मन नहीं था. समय बिताने के लिये वो इधर उधर की बात करने लगा. बात करते करते उसने मेरा हाथ थाम लिया तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने पलट कर सीधे अपने होंठ उसके होठों पे रख दिए. एक बारगी तो वह सकपकाया मगर जल्दी ही उसके हाथ मेरे मम्मों पे चले गए. मेरे होंठ चूसते हुए वो मेरे मम्मे मसल रहा था, चूतड़ों को दबा रहा था. दुनिया से बेखबर हम उस पार्किंग लॉट में एक दूसरे में खो चुके थे.
जैसे तैसे हम अलग हुए, मैंने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी कार में बिठाया और तेजी से गाड़ी चलकर हम मेरे घर पे पहुँच गए. रास्ते भर वो मेरी स्कर्ट में हाथ डालकर मेरी चुत में उंगली करता रहा और मैं पानी पानी होती रही.
घर में घुसते ही उसने दरवाजा बंद किया और किसी वहशी की तरह मुझे पकड़कर दीवार से सटा दिया। वो मुझे पागलों की तरह किस किये जा रहा था और मैं उसे! पलक झपकते झपकते हमने एक दूसरे के कपड़े नोच लिए मगर जैसे ही मेरी नजर उसके लंड पे पड़ी मेरी तो सांस ही अटक गई. क्या लंड था मादरचोद का… नौ इंच लम्बा और 3 इंच मोटा (ये मैंने बाद मैं नापा). उस हलब्बी लंड को देख कर मैं अपने आप घुटनों के ऊपर आ गई और बिना कुछ सोचे समझे उसे अपने मुँह में ले लिया।
पीटर के मुँह से सिसकारियां निकलने लगी, उसका सिर्फ आधा ही लंड मेरे मुँह में जा रहा था. कुछ देर सहने के बाद उसने मेरे सर के बाल खींचे और अपने लंड से वो धकापेल मेरा मुँह चोदने लगा. उसका लौड़ा मेरे हलक तक पहुँचने लगा मैं तो सांस भी नहीं ले पा रही थी, मेरी आँखों से पानी बहने लगा. मगर उसे मेरे ऊपर तरस नहीं आया, वो बस अपने हैवानी लौड़े से तूफान मचा रहा था. अब तक मेरी चुत ने भर भर कर पानी छोड़ दिया था. मेरा मुँह अब तक उसके लंड का अभ्यस्त हो चुका था. चुदने की हवस मुझ पे इस कदर हावी हो चुकी थी कि अब मैं उसके लंड को पूरी ताकत से चूस रही थी और वो मेरे बालों को पकड़कर मुझे किसी रंडी की तरह झंझोड़ रहा था.
तभी उसने मेरे बाल खींचकर मुझे खड़ा किया। बाल खींचे जाने से मेरे मुँह से एक घुटी सी चीख निकल गई. मगर उसे तो कोई परवाह ही नहीं थी, उसने मुझे झट से घुमाया, मैंने दीवार का सहारा लिया और अपनी गांड बाहर निकाल ली. उसने बिना समय गंवाए सीधा उसका लंड पीछे से मेरी चुत में डाल दिया। मेरे मुँह से चीख निकल गई. मेरे जीवन का अब तक का सबसे बड़ा लंड ले रही थी मैं.
आधा लंड मेरी चुत में घुस गया था, मैं दर्द से फड़फड़ा रही थी. पीटर ने मेरे मम्मे पकड़े और फिर एक करारा झटका मारा। मेरी तो सांस ही अटक गई. भयानक दर्द का एहसास होते ही मैं जोर से चिल्ला उठी- मर गई माँ! फाड़ दी मेरी चुत हरामी! मगर पीटर तो मशीन बन चुका था, उसने मेरी कमर पकड़ी और वो फुल स्पीड से मेरी चुत की चुदाई करने लगा. पल भर मुझे लगा कि इस नीग्रो से चुदवा कर मैंने जिंदगी की सबसे बड़ी गलती कर दी. वह मुझे किसी मशीन की तरह चोदे जा रहा था. साथ साथ अपने चौड़े हाथों से मेरी शानदार गांड पे भयंकर चोट कर रहा था. एक मिनट के अंदर ही मेरी गांड टमाटर की तरह लाल हो गई. मेरे मुँह से अब कामुक आवाजें निकलने लगी- आअह्ह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्म अम्म्म स्सी आह्ह्ह आहह… चोदो और चोदो.
इसी बीच मेरी चुत ने भरभरा कर पानी छोड़ दिया। अब मेरी टाँगें काम्पनी शुरू हुई. मगर पीटर लगा हुआ था. अब उसकी स्पीड थोड़ी कम हुई, उसने पूरा लौड़ा बाहर खींच के झट से अंदर डालना शुरू किया।
जैसे तैसे मैंने कहा- पीटर, चलो बेड पे चलते हैं. मगर उसके दिल में तो कुछ और ही था. उसने अपना लंड निकाला, मुझे अपनी तरफ घुमाया और किसी जानवर की तरह मेरे होंठ खाने शुरू किये, साथ में वो मेरे मम्मे बेदर्दी से दबा रहा था. मेरे निप्पल जोरों से खींच रहा था. दर्द के मारे मैं चिल्ला रही थी मगर उसने मुझे बिल्कुल नहीं बख्शा।
कुछ देर बाद उसने मेरी एक टांग उठाई और अपने कमर पे लिपटा ली और थोड़ा झुक कर उसने फिर से अपना लंड खड़े खड़े ही मेरी चुत में डाल दिया। मैंने अपने हाथ उसके गले में डाल दिए और दूसरी टांग भी उसके कमर पर लपेट दी. पीटर ने मुझे दीवार को चिपकाया और वो फिर से अपना हलब्बी लौड़ा मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा. मुझे तो ऐसा लग रहा था कि मैं आसमान में उड़ रही हूँ. चुदाई का आलम ऐसा छाया कि मैं जो मुँह मैं आया वो बकने लगी- सीईई सीईईई आअह्ह ह्हह… आहहह आःह्ह्ह आःह्ह्ह आह्ह आह्ह्ह्ह बाहर निकालो इसे, प्लीज इसे बाहर निकालो, बहुत दर्द हो रहा है, आह्हज आईईई आह्ह्ह उह्ह्ह आह्ह्ह, प्लीज! धीरे चोदो बहुत दर्द हो रहा है, आह्ह्ह अहह आअह्ह!
पता नहीं मैं कितना चिल्लाई मगर पीटर को मुझ पर बिल्कुल दया नहीं आई. उसी हालत में उसने मुझे दस मिनट चोदा और फिर उसने अपना पानी मेरी चुत में छोड़ दिया। उसके पानी की धार मुझे अंदर तक भीगा गई. मैं उसकी बाहों में बेहोशी की हालत में झूल गई. उसका लंड ढीला होकर मेरी चुत से फिसल गया और फिर पीटर मुझे वैसे ही आगे ड्राइंग रूम में लेकर गया और मुझे सोफे पे लिटाया। साथ में वो भी मेरी चूचियों पे सर रख के लेट गया.
सामान्य हुए तो मैंने उसके होटों पे एक चुम्मा जड़ दिया और कहा- थैंक्स- यू फ़क लाइक अ बुल! वो मुस्कराया और उसने कहा- निकी, ये तो नमूना था. अभी तो मैं तुम्हें तुम्हारे हर छेद में पूरी रात चोदूँगा।
मेरी कामुकता भरी कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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