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अब तक की इस सेक्स स्टोरी इन हिंदी में आपने पढ़ा था कि मोना की पड़ोसन मीना उसके लिए एक कमसिन काम वाली तलाश कर लाई थी और ये दोनों उसी लौंडिया की मचलती जवानी को लेकर चर्चा कर रही थीं. अब आगे..
मीना की बात सुनकर मोना के चेहरे पे अलग ही खुशी साफ नज़र आ रही थी, जिसे देख मीना भी मुस्कुरा दी.
मीना- वैसे तुझे ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, वो ऐसी है कि गोपाल खुद उसको चोदने का प्लान बना लेगा. मगर एक बात याद रखना उसको ये सब के बारे में कोई ज्ञान नहीं है.. तुझे उसको तैयार करना होगा, तभी बात बनेगी. नहीं तो सारा प्रोग्राम चौपट हो जाएगा समझी तू! मोना- उसकी टेंशन तू मत ले.. बस एक बार उसको लेकर आ, फिर देख मैं कैसे उसे सब सिखा देती हूँ. तू देखना मैं उस कली को एक हफ्ते में गोपाल के नीचे लिटा दूँगी. मीना- ठीक है मैं उसे कल सुबह ले आती हूँ. मोना- नहीं सुबह नहीं.. कल इसी टाइम लेकर आना. मैं नहीं चाहती कि जब वो आए तो गोपाल उसको देखे. पहले मैं उसको अच्छी तरह रेडी करूँगी, फिर गोपाल के सामने लाऊंगी. मीना- तुझे जो करना है कर.. मुझे थोड़ा काम है तो मैं तो जाती हूँ और सुधीर को बुला ले.. वो अभी तेरी चुदाई कर देगा. मोना- क्यों तेरा भी मन ललचा गया क्या.. बोले तो तेरी भी चुदाई करवा दूँ उससे? मीना- अरे नहीं.. मेरे लिए मेरे वही बहुत हैं. अच्छा यार चलती हूँ.. कल शाम को उस लड़की को लेकर आती हूँ.
मीना के जाने के बाद मोना भी टीवी देखने लगी.
अब हम भी यहाँ से चलते हैं.
शाम को संजय सीधा टीना से मिलने गया. वो उसको लेकर बाहर एक कैफे में लेकर चला गया.
संजय- हाँ जानेमन.. क्या बात है अब कैसी है आंटी की तबीयत. सब ठीक है ना? टीना- हाँ अब मॉम अच्छी हैं. तुम बताओ कॉलेज के क्या हाल हैं? संजय- जैसा पहले था, वैसा ही अब है. तू बता मेरी रंडी का क्या हाल है.. कहाँ तक पहुँच गई वो? टीना- बड़ी आग लगी है तेरे अन्दर सुमन के नाम की? बताती हूँ पहले तू ये बता कि पूजा के क्या हाल हैं.. तुम दोनों को चुदाई का मौका मिलता है या नहीं? संजय- तू मौके की बात कर रही है, वो तो मेरे साथ मेरे बेड पे ही सोती है. टीना- क्या बात करता है यार.. अभी तक प्रोग्राम चालू है… लगा रह तेरे मज़े हो गए.. कच्ची कली चोद रहा है तू! संजय- वो तो है.. मगर पूजा नादान है उसमें वो अदाएं नहीं.. जो तुझमें हैं. टीना- बस बस मस्का मत लगा.. सीधे सीधे बोल दे कि सुमन के हाल जानना है. संजय- अब समझती है तो बताती क्यों नहीं.
टीना ने उस रात की सारी घटना संजय को बताई कि कैसे उसने भिखारी के पजामे में रिंग डाली थी, फिर मॉंटी वाली बात भी बताई.
संजय तो सुनकर उसका दीवाना हो गया.. उसका लंड फुंफकारने लगा.
संजय- अबे साली, अपने भाई का लंड चुसवा दिया उसको.. ऐसा क्यों किया? सबसे पहले उसके होंठों को मेरे लंड का टेस्ट करना था. टीना- अरे वो तो छोटा है. सुमन की लाइफ में पहले मर्द तुम ही रहोगे. अब ये बातें जाने दे.. ले ये मेमोरी कार्ड अपने फ़ोन में डाल ले. इसमें सुमन का वो वीडियो भी है जब वो पूरी नंगी होकर मॉंटी के साथ मज़े ले रही थी.. समझे मेरे जानू! संजय- क्या बात है जानेमन.. तूने तो कमाल कर दिया.. ला दे जल्दी से. टीना- साथ में ये मोबाइल भी ले.. खराब हो गया इसे ठीक करवाना पड़ेगा.
संजय ने टीना का मेमोरी कार्ड अपने मोबाइल में डाला और सुमन को वासना की आग में जलता देख कर पागल हो गया.
संजय- उह सुमन साली, क्या जिस्म पाया है तूने.. उफ़ साला लंड का हाल से बेहाल हो गया. टीना- अरे मेरे राजा.. इतना क्यों तड़प रहा है.. तू कहे तो कहीं चलें, मेरी चुत भी लंड के लिए बड़ी बेचैन हो रही है. संजय- नहीं डार्लिंग.. आज नहीं कल, कॉलेज के बाद तू मेरे पुराने घर के पास आ जाना.. वहीं तेरी चुत की आग ठंडी करूँगा. आज तो साली पूजा को थका देता हूँ ताकि कल वो लंड का नाम भी ना ले. टीना- अच्छा ये बात है.. तो ठीक है कल ही सही.. इतना सब्र किया तो एक दिन और सही मगर तू ये मेरा मोबाइल तो ठीक करवा. संजय- वो तो करवा दूँगा.. मगर मुझे ये बता कि तूने सुमन को मॉर्डन ड्रेस के बारे में कहा या नहीं? टीना- अरे कह दिया मगर उसका बाप बहुत खडूस है.. वो इतनी आसानी से मानेगा नहीं, वैसे मैंने उसको तरीका बताया है देखो साला पिघलता है या नहीं. संजय- आज नहीं तो कल साले को मानना ही पड़ेगा. तू एक काम कर सुमन को अबकी बार समझा.
संजय बोलता रहा और टीना गौर से सब सुनने लगी और ये सुनकर उसकी आँखों में चमक भी आ गई.
टीना- वाउ यार.. प्लान तो अच्छा है मगर क्या वो ये सब मानेगी? संजय- वीडियो में देखा नहीं तूने.. साली कैसे लंड के लिए तड़प रही थी. उसका तो बाप भी मानेगा.. तू बस सही मौके पे चौका मारना.. समझी मेरी जान! टीना- ठीक है मेरे संजू.. चल अब मुझे जाना होगा माँ को दवाई भी देनी है.
दोनों वहां से निकल गए और संजय ने टीना को घर छोड़ दिया.
शाम को गुलशन जी भी फ्रेश होकर चले गए और जाते टाइम वो बोल गए कि उन्हें आने में देर हो जाएगी. बस फिर क्या था सुमन को तो घर से बाहर जाने का मौका चाहिए, वो अपनी माँ से बहाना बना कर टीना से मिलने पहुँच गई.
सुमन ने अपनी नई ड्रेस नहीं पहनी थी मगर उसने एक रेड सलवार सूट पहना था, जिसमें वो खिल रही थी. वो सीधे टीना के घर चली गई.. दरवाजा मॉंटी ने खोला. मॉंटी- हैलो दीदी.. कैसी हो आप? आओ अन्दर आओ.
सुमन ने भी मॉंटी से हाथ मिलाया और अन्दर चली गई. मॉंटी को देख कर सुमन को वो सीन याद आ गया तो वो मुस्कुराने लगी, जिसे देख मॉंटी भी मुस्कुरा दिया.
सुमन- टीना कहाँ है और आंटी कैसी हैं.. अब उनकी तबीयत ठीक है ना? मॉंटी- दीदी किसी काम से बाहर गई हैं.. और मॉम ठीक हैं मगर वो उस कमरे में आराम कर रही हैं. सुमन- ओह अच्छा चलो उनको आराम करने दो.. वैसे टीना कब तक आएगी? मॉंटी- अभी आ जाएंगी.. उनका मोबाइल खराब हो गया तो वो शायद उसे दुकान पर देने गई हैं. आप बैठो मैं पानी लेकर आता हूँ. सुमन- अरे नहीं अभी पानी पीने का मूड नहीं.. तू यहाँ मेरे पास बैठ.
मॉंटी वहीं सुमन के सामने बैठ गया उसने बरमूडा पहना हुआ था और शायद अन्दर कुछ नहीं पहना था.
मॉंटी- दीदी एक बात पूछूँ.. आप सच बताओगी मुझे.. प्लीज़! सुमन- हाँ पूछ क्या बात है? सच और झूठ की क्या बात है.. मुझे पता होगा तो बता दूँगी तुम्हें.. नहीं तो नहीं! मॉंटी- उस रात अपने मेरे साथ क्या किया था, जो सुबह अपने आप मेरी आँख खुली.
मॉंटी की बात सुनते ही सुमन के पैरों तले ज़मीन निकल गई. सवाल ही ऐसा किया था उसने… मगर सुमन ने संभाल लिया- अरे पागल.. मैंने क्या किया? टीना ने तुझसे मजाक किया था तुम्हारी नींद पूरी हो गई होगी तब तू उठ गया.. सिंपल है! मॉंटी- आप झूठ बोल रही हो, मुझे पता है. मैंने पहले ही कहा था सच बताना नहीं तो मना कर देना. सुमन- अरे मैं सच बोल रही हूँ, तुझे ऐसा क्यों लगता है मैं झूठ बोल रही हूँ और मैं तुम्हारे साथ क्या कर सकती हूँ? मॉंटी- दीदी, ये तो मुझे पता नहीं कि आप झूठ क्यों बोल रही हो मगर क्या कर सकता हूँ. आप ये मत बोलो मैं छोटा हूँ.. अब मैं इतना भी छोटा नहीं कि कुछ समझ ना सकूं. उस रात आप बिना कपड़ों के मेरी लूली से खेल रही थीं ना? आपको क्या लगता है ऐसे में कोई सो सकता है.. बोलो?
सुमन तो बेचारी अभी तक कुँवारी थी मगर आज मॉंटी ने अपनी बातों से उसकी गांड फाड़ दी थी. उसके माथे पे पसीने की बूंदें आ गईं और उसको कुछ समझ ही नहीं आया अब वो करे तो क्या करे, कैसे मॉंटी को पता लग गया. वो जाग कर मज़े ले रहा था.. ये सोचते ही उसकी हालत खराब हो गई.
मॉंटी- क्या हुआ दीदी.. बोलो अब चुप क्यों हो.. कह दो ये भी झूठ है? सुमन- आई एम सॉरी मॉंटी व्व..वो मुझे उस टाइम कुछ समझ नहीं आया.. मॉंटी- अरे दीदी आप टेंशन मत लो प्लीज़.. मैंने ये किसी को नहीं बताया है और बताऊंगा भी नहीं.. प्लीज़ आप बिल्कुल भी घबराओ मत, उस रात जो हुआ सच्ची बहुत अच्छा था. आपने तो मेरी लाइफ बना दी.. बस एक बार और वैसा कर दो ना प्लीज़ दीदी.. उसके बाद मैं कुछ नहीं कहूँगा.
सुमन के तो होश उड़ गए, मॉंटी उसे परोक्ष धमकी दे रहा था और उसके मुँह से एक शब्द नहीं निकल पा रहा था.
मॉंटी- क्या हुआ आप कुछ तो बोलो ना.. मेरी बात का जवाब तो दो या फिर मैं ये समझूँ कि आप नहीं करोगी.. बोलो?
तभी.. टीना- थप्पड़ से काम चल जाएगा या डंडे से तेरी पिटाई करूँ चल अपनी चॉइस तू खुद बता दे. टीना बहुत पहले वहां आ गई थी, वो बस मॉंटी की बातें सुन रही थी और जो हाल सुमन का था, उसे भी वो देख रही थी. जब उसे लगा कि अब बहुत ज़्यादा हो गया है तो उसने अन्दर आकर मॉंटी को धमकी दी.
टीना को देख कर सुमन की जान में जान आई.. वहीं मॉंटी की हवा निकल गई.
मॉंटी- व्व..वो दीदी मैं तो बस ऐसे ही.. टीना- चुप.. इत्ता सा है और अभी से धमकी देना सीख गया, उससे क्या पूछता है जो पूछना है तू मुझसे पूछ! वो क्या कर रही थी और क्या नहीं.. बोल अब? सुमन- जाने दो ना दीदी.. बात बढ़ाने से क्या फायदा.. ग़लती तो मेरी ही है ना! टीना- नहीं तुम्हारी कोई ग़लती नहीं है.. ग़लती तो मेरी है जो मैंने अपने भाई पे इतना विश्वास किया कि इसे कुछ पता नहीं.. ग़लती मेरी है जो मैंने सोचा ये बहुत गहरी नींद में सोता है, इसे कुछ पता नहीं लगेगा. ग़लती मेरी है जो मैं इसे बहुत प्यार करती हूँ.. ग़लती मेरी है जो मैंने इसकी खुजली पर दवा लगाने के लिए इसकी लली को टच किया. मगर मुझे पता नहीं था कि मेरा अपना सगा भाई रात को सोते हुए मज़ा ले रहा था और मुझे पता भी नहीं लगा.
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