इक्कीसवीं वर्षगांठ-2
प्रेषिका : शिप्रा शिप्रा के रसोई में जाने के बाद मैं…
जीना इसी का नाम है-6
एक दिन रात को 11 बजे अनीता ड्रिंक लेकर लड़खड़ाते हुए…
एक व्याख्या प्रेम की…-2
लेखक : निशांत कुमार मैं अपने स्वप्न से जागा और जाकर…
कामुकता की इन्तेहा-10
खतरनाक चुदाई के बाद रात डेढ़ बजे के करीब ढिल्लों मु…
कामुकता की इन्तेहा-11
मैंने अपने पति को अपनी किसी सहेली की शादी में जान…
तीन चुटकले टायलेट से
चलती गाड़ी में अपने शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें…
बरसों की तपस्या का फल
प्रेषक :फ़ारस वैद्य हाय ! मैं नागपुर से ३८ साल का सु…
कामुकता की इन्तेहा-13
दोस्तो, अब मैं आपको काले के बारे में बता दूं जिससे…
कामुकता की इन्तेहा-14
रात के 12 बज चुके थे, मैं अपने 2 शानदार और जानदार…
एक व्याख्या प्रेम की…-1
लेखक : निशांत कुमार वासना और प्रेम एक ही सिक्के के …