तरक्की का सफ़र-15
राज अग्रवाल प्रीती की बात सुनकर मुझे उस पर नाज़ हो ग…
कोई मिला अपना सा तो दे दी खुशी
यह फीमेल ओर्गास्म सेक्स कहानी मेरी मकानमालकिन की चुद…
वेब से बेड तक-1
प्रेषक : लव गुरू मेरी यह कहानी काल्पनिक है। इस कहान…
तरक्की का सफ़र-10
रजनी अपनी योजना बताने लगी, “राज! तुम्हें मेरी और म…
वेब से बेड तक-3
प्रेषक : लव गुरू फिर मैंने कहा- माँ, मुझको तुम्हारे…
तरक्की का सफ़र-12
राज अग्रवाल प्रीती के वापस आने के बाद हम लोग खाना ख…
अंगूर का दाना-1
प्रेम गुरु की कलम से एक गहरी खाई जब बनती है तो अपन…
वेब से बेड तक- 2
प्रेषक : लव गुरू वह मेरे दूसरे चुचूक को अपने हाथ क…
ख्वाहिश पूरी की
दोस्तो, मैं अर्पित सिंह एक बार फिर से अपनी अधूरी प्र…
तरक्की का सफ़र-13
राज अग्रवाल कमरे में घुसते ही राम ने कहा, “सिमरन य…