अधखिला पुष्प
मेरी शादी हुये लगभग चार साल हो चुके थे। कुछ अभागी…
कास्टिंग काउच
हय जानू… इस बार जो कन्फेशन मैं तुमसे शेयर कर रही ह…
तीसरी कसम-9
प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना मैं जैसे ही बेड पर बैठा …
तीसरी कसम-8
प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना रेशम की तरह कोमल और मक्खन…
क्या माल थी
मैं रेलगाडी में मुंबई से हावडा जा रहा था. मेरे सा…
तीसरी कसम-5
प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना ‘बस सर, अब वो वो… जल थेर…
वो कौन था?-2
माला चित होकर लेट गई, मैंने उसे उसी तरह डिल्डो से …
चुदाई की आग
नमस्कार दोस्तो, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। म…
तीसरी कसम-2
प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना हे लिंग महादेव ! अगर मुझ…
वो कौन था?-3
एक दिन माला और मनोरमा दोनों परीक्षा देने गई थी, तभ…