कुछ दिन सबर करो !
प्रेषक : दोस्तो, मेरा नाम रोहित है और मैं अंबिकापु…
बहन का लौड़ा -47
अभी तक आपने पढ़ा.. रोमा एकदम पागल सी हो गई थी.. ना…
कुछ अधूरा सा-2
कुछ अधूरा सा-1 मामा को विदेश गये करीब तीन वर्ष हो …
जिस्म की मांग-4
प्रेषिका : लीला “बाबू, तू मेरा प्यार है, चाहे अब मै…
स्वयंवर का सच-1
लेखक : प्रेम गुरु और अरमान मैं जानता था कि यह राखी…
बहन का लौड़ा -53
अभी तक आपने पढ़ा.. राधे नींद में था.. मीरा उसके सी…
कलयुग की लैला-2
प्रेषक : विजय पण्डित रूपा और कविता दोनों ही एक साथ …
पाँच सौ का नोट
सभी पाठकों को मेरा नमस्कार, पाठिकाओं को मेरे खड़े ल…
कलयुग की लैला-3
विजय पण्डित रूपा और कविता दोनों ही एक साथ आशू से क…
बहन का लौड़ा -52
अभी तक आपने पढ़ा.. दोस्तो, आप जानते हो.. अब यहा से …